क्रियापद व त्याचे प्रकार | Kriyapad In Marathi Grammar

क्रियापद

        धातुला प्रत्यय लागून क्रियावाचक शब्द वाक्याचा अर्थ पूर्ण करीत असतील तर त्यांना ‘क्रियापद’ असे म्हणतात.
                    उदाहरणार्थ  :  जेव + तो = जेवतो
                                          दे + णे = देणे
                                          कर + णे = करणे
                                          जिंक + णे = जिंकणे
    क्रियापदातील प्रत्ययरहीत मुळ शब्दांना धातु असे म्हणतात.
                    उदाहरणार्थ  :  जेव, दे, कर, जिंक इ.
    धातुला विविध प्रत्यय लागून क्रिया अपूरी दाखविणाऱ्या किंवा वाक्याचा अर्थ पूर्ण न करता येणाऱ्या शब्दांना धातुसाधीते किंवा कृदंते असे म्हणतात.
                    उदाहरणार्थ  :  त्याचे वागणे (वाग) मला आवडले नाही.
                                          खुर्चीत बसून (बस) तो बोल्ला.
                                          त्याचे चेंडू फसवे (फस) असतात.
                                          तो धावतांना (धाव) रस्त्यात पडला.
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क्रियापद
व त्याचे प्रकार
क्रियापदाचे एकूण सात प्रकार पडतात ते आता आपण सविस्तर बघूया.
(१) सकर्मक क्रियापद
(२) अकर्मक क्रियापद
(३) संयुक्त क्रियापद
(४) साधीत क्रियापद
(५) प्रायोजक क्रियापद
(६) शक्य क्रियापद
(७) भावकर्तु क्रियापद

(१) सकर्मक क्रियापद

    ज्या क्रियापदाचा अर्थ पूर्ण होण्यास कर्माची आवश्यकता असते त्यास ‘सकर्मक क्रियापद’ असे म्हणतात.
                                उदाहरणार्थ  :  सुनील ने आंबा खाल्ला. ( या वाक्याला पूर्ण अर्थ आहे.) जर “सुनील ने खाल्ला” एवढेच वाक्य दिले असते तर त्याचा अर्थपूर्ण झाला नसता;  म्हणून ‘आंबा’ या कर्माची आवश्यकता आहे व म्हणूनच खाल्ला हे सकर्मक क्रियापद आहे

(२) अकर्मक क्रियापद

    ज्या क्रियापदाचा अर्थपूर्ण होण्यास कर्माची आवश्यकता नसते त्यास ‘अकर्मक क्रियापद’ असे म्हणतात
                            उदाहरणार्थ  :  अमीत रस्त्यात हसतो. “अमीत हसतो” यालाही पूर्णअर्थ आहे. हसतो या क्रियापदाला कर्माची आवश्यकता नाही म्हणून हसतो हे अकर्मक क्रीयापद आहे.

(३) संयुक्त क्रियापद

    वाक्यातील मुख्य क्रिया दाखविणाऱ्या शब्दाच्या रुपाला जोडून जे दुसरे क्रियापद येते त्यास ‘सहाय्यक क्रियापद‘ असे म्हणतात.
                    उदाहरणार्थ  :  आम्ही जेवत आहोत.
                                          तु जाताना चेंडू घेऊन जा.
 तर मुख्य क्रियापद दाखविणाऱ्या शब्दाचे रूप व सहाय्यक क्रियापद या दोन्हीला मिळून होणाऱ्या क्रियापदाला ‘संयुक्त क्रियापद’ असे म्हणतात.
                उदाहरणार्थ  :  आम्ही जेवत आहो.
                                      तु जाताना चेंडू घेवून जा.
                                      क्रीडांगणावर मुले खेळू लागली.

(४) साधीत क्रियापद

    नाम, विशेषण, क्रियापद, अव्यय यांना प्रत्यय लागून बनलेल्या क्रियापदांना ‘साधीत क्रियापद‘ असे म्हणतात.
                उदाहरणार्थ  :  हाताळणे ( हात या नामाला प्रत्यय )
                                      स्थीरावला ( स्थीर या विशेषणाला प्रत्यय )
                                      आनवली ( आन या धातुला प्रत्यय )
                                      पुढारली ( पुढे या अव्ययाला प्रत्यय )

(५) प्रायोजक क्रियापद

    जेव्हा कर्ता एखादी क्रिया स्वतः न करता दुसऱ्याकडून करून घेतो किंवा दुसऱ्या कोणाला तरी करावयास लावीत आहे. तेव्हा ती क्रिया दर्शविणाऱ्या क्रियापदाला ‘प्रायोजक क्रियापद’ असे म्हणतात.
                    उदाहरणार्थ  :  आई बाळाला खेळवते.
                                          सुधाने बहिणीला रडविले.

(६) शक्य क्रियापद

    ज्या क्रीयापदावरून कार्याच्या संदर्भात शक्यता आणि सामर्थ्य यामधील बोध होतो. तेव्हा त्या क्रियापदाला ‘शक्य क्रियापद’ असे म्हणतात.
                उदाहरणार्थ  :  आज आजोबांना चालवते.
                                      आजारा नंतर आता मला खेळवते.
                                     त्याला आता बसवते.

(७) भावकर्तु क्रियापद

    शब्दाच्या क्रियेतील मुळ अर्थ म्हणजे भाव तोच त्याचा कर्ता मानावा लागतो ( त्याचे कर्ते वाक्यात स्वतंत्रपणे दिसत नाही ) अश्या क्रियापदांना ‘भावकर्तु क्रियापद’ असे म्हणतात.
                  उदाहरणार्थ  :  मला घरी जाण्यापूर्वी सांज होईल. ( सांज झाली हा अर्थ )
                                        पित्त झाल्यामुळे त्याला आत मळमळते. (मळमळ होते हा अर्थ )

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